जुबिली न्यूज डेस्क
पटना: बिहार में शराब माफियों के बरसते कहर के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर नीतीश सरकार की शराबबंदी नीति की समीक्षा करने की बाध्यता की ओर इशारा तो कर ही दिया। साथ ही इसके अपरोक्ष रूप से गिरिराज सिंह ने यह भरोसा तो दिला ही दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में दलित उत्पीड़न एक मुद्दा बनने जा रहा है।

नाराज गिरिराज क्यों बरसे
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश सरकार की शराब बंदी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि शराब माफियाओं का कहर अब तो पुलिस प्रशासन पर बरसने लगा है। शराबबंदी की गलत नीतियों के कारण और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की जिद के कारण, कई निर्दोष लोगों को जेल जाना पड़ा। शराब माफियाओं ने बहुत सारे लोगों की हत्या कर दी। माफिया ने एक एएसआई की हत्या कर दी। आखिर इस हत्या की लिए कौन जिम्मेदार हैं? क्या नीतीश कुमार जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे।
बीजेपी सरकार बनी तो वापस होंगे शराब बंदी कानून
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की भी पीड़ा भी केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की पीड़ा जैसी है। पर दोनों महारथियों की सोच में एक बड़ा फर्क है। जीतन राम मांझी ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा, ‘बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह असफल है। अगर एनडीए की सरकार आई तो गुजरात की तर्ज पर शराबबंदी कानून लिया जाएगा या इसे वापस ले लिया जाएगा।
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शराबबंदी कानून के तहत जितने लोग जेल में बंद हैं, उसमे अधिकांश दलित और गरीब हैं। सरकार ने पकड़े जाने पर जुर्माना देने का प्रावधान किया है, लेकिन प्रतिदिन 400-500 रुपये कमाने वाले 2,000 और 3,000 कहां से देंगे। इसी वजह से वह जेल चला जाता है। मेरा तो मानना है कि बिहार का शराबबंदी कानून कहीं से सही ही नहीं है।
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