जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाही का एक ऐसा नमूना पेश किया जिसने पूरे देश के सामने बिहार को शर्मिंदा कर दिया है. बिहार के समस्तीपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नसबंदी के लिए भर्ती कराई गई महिला पांच महीने की गर्भवती निकली. इस मामले से यह साफ़ हो गया है कि कागजी आंकड़ों को तैयार करने में किस हद तक लापरवाही की जा रही है.
पांच महीने की गर्भवती महिला को नसबंदी के लिए भर्ती कराये जाने के मामले में किस सीमा तक लापरवाही बरती गई इसकी भी मिसाल मिलनी मुश्किल है. महिला को आपरेशन टेबिल पर लिटा दिया गया था. उसे बेहोशी का इंजेक्शन भी दे दिया गया था लेकिन किसी को कानोंकान खबर नहीं थी कि पांच महीने की गर्भवती महिला का नसबंदी आपरेशन होने जा रहा है. आपरेशन से ठीक पहले डाक्टर को यह बात पता चली तो महिला को बेहोशी की हालत में ही परिजनों के हवाले कर स्वास्थ्य विभाग ने अपना पल्ला झाड़ लिया.

जानकारी के अनुसार समस्तीपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर बड़ी संख्या में महिलाओं को नसबंदी के लिए जमा किया गया था. इन्हीं महिलाओं में पांच महीने की गर्भवती महिला भी शामिल थी. बबीता देवी नाम की इस गर्भवती महिला को अस्पताल में काम करने वाली आशा वर्कर द्वारा लाया गया था.
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पांच महीने की गर्भवती महिला को नसबंदी से पहले बेहोशी का इंजेक्शन दे दिए जाने से ही यह बात साफ़ है कि नसबंदी आपरेशन से पहले महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर किसी भी तरह की कोई जांच पड़ताल नहीं की गई थी. इस महिला के पांच महीने के गर्भवती होने का खुलासा होने के बाद अस्पताल में हड़कम्प मच गया और आपरेशन करने वाले डाक्टर भी वहां से गायब हो गए.
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