न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सरकार बन गई लेकिन बीजेपी की टीस अभी भी बरकार है। आनन-फानन में पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जिस तरह मुख्यमंत्री बने थे, उससे बीजेपी की खूब छीछालेदर हुई थी। बीजेपी ने अजित पवार पर भरोसा क्यों किया, इसका मलाल शायद बीजेपी को हमेशा रहेगा।

अजित पर भरोसा करना बीजेपी के लिए कितना घातक हुआ ये सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से बेहतर कोई नहीं जानता। इसकी भरपाई बीजेपी को लंबे वक्त तक करना पड़ेगा। शायद इसीलिए बीजेपी इससे अब तक उबर नहीं पाई है।
महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सात दिसंबर को दावा किया कि वह एनसीपी नेता अजित पवार थे जिन्होंने राज्य में सरकार बनाने के लिए उनसे संपर्क किया था। एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए फडणवीस ने कहा कि अजित पवार ने उन्हें राकांपा के सभी 54 विधायकों के समर्थन का आश्वासन दिया था। उन्होंने मेरी कुछ विधायकों से बात कराई जिन्होंने मुझसे कहा कि वे भाजपा के साथ जाना चाहते हैं। इतना ही नहीं अजित पवार ने मुझसे यह भी कहा कि उन्होंने इस बारे में (राकांपा प्रमुख) शरद पवार से भी चर्चा की है।
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ”अजित पवार ने हमसे संपर्क किया और कहा कि एनसीपी कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहती है। तीन दलों (शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा) का गठबंधन (सरकार) नहीं चल सकता। हम (एनसीपी) स्थिर सरकार के लिए भाजपा के साथ जाना चाहते हैं।”

बीजेपी नेता ने माना कि उनका यह कदम उल्टा पड़ गया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस बारे में और बातें सामने आएंगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सिंचाई घोटाले में अजित पवार को मिली क्लीन चिट से उनका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि ”भ्रष्टाचार निरोधक शाखा का हलफनामा 27 नवंबर का है और मैंने 26 नवंबर को इस्तीफा दे दिया था।”
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच सरकार बनाने के लिए बातचीत चल रही थी तभी अचानक 23 नवंबर की सुबह-सुबह जल्दबाजी में फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेकर सबको हैरान कर दिया था। हालांकि यह सरकार 80 घंटे में ही गिर गई थी।
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