न्यूज डेस्क
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अभी इस दुनिया में नहीं रही। यकीन नहीं होता की बीजेपी की इस दिग्गज नेता ने दुनिया को इतनी जल्दी अलविदा कह दिया। सुषमा इतनी प्रभावशाली नेता थी कि इनके चर्चे देश ही नहीं विदेश में फैले हुए थे तभी उनके जाने से लोगों को असहनीय पीड़ा हो रही है। उन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए विदेश में फंसे भारतियों को निकालने के लिए जी जान से मदद की। इसी वजह से उनके जाने के बाद उनके चाहने वाले उन्हें भावुक संदेश लिख कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
उनके निधन पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ब्लॉग लिखा है। उन्होंने अपने ब्लॉग में बताया कि सुषमा किस तरह से उन्हें मजबूत रहने और लोगों के सामने आंसू नहीं दिखने की सीख देती थी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वो 14 फरवरी को पति जुबिन के अलावा सिर्फ सुषमा स्वराज को फूल देती थीं। वो हंसती थीं और कहती थीं कि मैं आधिकारिक तौर पर आपकी एक और वेलेंटाइन हूं। इस दौरान वो कई भावुक भी दिखी और उन्होंने लिखा कि सुषमा जी आप ऊपर मेरे लिए भी जगह रखिएगा। मैं जब आपको अगली बार देखूंगी तो आपके साथ बहुत सारी चर्चा करूंगी।
क्या लिखा ब्लॉग में
भावुक होते हुए स्मृति ईरानी ने अपने ब्लाग में लिखा कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अमेठी के ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह की हत्या से वो टूट गयी थी। जब इस घटना पर सुषमा स्वराज से बात हुई थी। उन्होंने लिखा कि सुरेन्द्र को मेरी वजह से लोगों ने मार डाला। मैं टेलीफ़ोन पर रो रही थी, सुषमा जी की चुप्पी ने मुझे सुनने का संयम दिया। जब ये घटनाहुई थी उसके बाद से फोन बजना बंद नहीं हुआ। मैं बस चाहती थी कि मुझे अकेले छोड़ दिया जाए जिससे कि मैं स्पष्ट रूप से सोच सकूं और इस दुख से दूर करने में मदद करने वाली एकमात्र चीज उनकी आवाज थी।
इस तरह से दी श्रद्धांजलि
इस पर सुषमा जी ने मुझसे कहा कि लोगों को ये मत देखने दो कि तुम रो रही हो, इससे उन्हें ऐसा लगेगा कि तुम कमजोर हो। मैंने उनसे कहा कि मैं कदम बाहर निकालूं उससे पहले मुझे इस दर्द से बाहर निकलना है। इस पर सुषमा स्वराज ने मुझसे कहा कि जिस तरीके से भी इस दर्द से बाहर निकलना है निकलो, लेकिन कभी किसी के सामने आंसू नहीं दिखाना। एक महिला सांसद को कभी भी गिरते हुए नहीं दिखना चाहिए। उसके बाद स्मृति ने लिखा कि इस तरह से मैंने दीदी को श्रद्धांजलि दी, उनको श्रद्धांजलि देने के आखिरी वक्त तक आम लोगों के सामने मेरी आंखों से आंसू नहीं आए।
ज्यादा खाने के लिए कौन टोकेगा
मैं खुद को क्रूर समझी, जब मैंने एम्स के आपातकालीन कक्ष में बांसुरी (सुषमा स्वराज की बेटी) को देखा। मैंने उन्हें बताया कि आप रो नहीं सकती हैं, आप उनकी बेटी हैं और सच में उनकी बेटी वैसी ही है। जैसे ही हम आखिरी बार सुषमा स्वराज के लिए घर को तैयार करने के लिए अस्पताल से निकले बांसुरी ने मुझे बताया कि मां ने मुझे बताया था कि स्मृति और बांसुरी को लंच के लिए जाना है और इसके लिए एक अच्छा रेस्टोरेंट खोज लो। अंत में, मेरी टेबल को चुना गया…लेकिन अब खाने के मेज पर वो हमको ज्यादा खाने के लिए नहीं टोकेंगी।
आपकी एक और वेलेंटाइन
सुषमा जी मेरे लिए, एक वेलेंटाइन थीं। उनका जन्म 14 फरवरी को हुआ था और मैं उन्हें हर साल फूल भेजने के साथ बधाई देने के लिए फोन करती थी, मैं कहती थी कि दीदी जुबिन के अलावा आप इकलौती इंसान हैं जिनको मैं इस दिन फूल देती हूं। वो हंसती थीं और कहती थीं कि मैं आधिकारिक तौर पर आपकी एक और वेलेंटाइन हूं। ऐसे कई किस्से है जिनके बारे में आज साझा कर सकती हूं, लेकिन मुझे इस बात से वाकिफ हूं कि अगली बार जब मुझे कोई समस्या होगी तब आप मेरे साथ नहीं होंगी, जो मुझये ये कहे कि सही हो तो अपनी बातों पर अडिग रहो और गलत होने पर मेरी कानों को खींचे।
विदाई दीदी, स्वर्ग आपकी उपस्थिति से और समृद्ध हो गया होगा। आपको देश के साथ दुनिया के लोग भी आपको मिस करेंगे। ऊपर अपने बगल में मेरी लिए भी जगह रखिएगा, आखिरकार जब मैं आपको अगली बार देखूंगी तो आपसे बहुत सारी बातें करूंगी।
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