न्यूज डेस्क
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक (मुस्लिम महिला-विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके साथ ही अब यह कानून बन गया है। इस कानून के तहत अब तीन तलाक देने के दोषी पुरुष को तीन साल की सजा सुनाई जा सकती है। साथ ही पीडि़त महिला अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा-भत्ते की मांग भी कर सकती है।
गौरतलब है कि 30 जुलाई को तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पास हुआ था। सदन में वोटिंग के दौरान इसके पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे। हालांकि यह बिल मोदी के पहले कार्यकाल में लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। तीन तलाक बिल को सरकार ने इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहले संसदीय सत्र के दौरान अब तक 10 विधेयक पारित हो चुके हैं। 17वीं लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद ये सभी विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजे गए हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये भी कानून बन जाएंगे।
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