जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 18 जून को एक सोलह वर्षीय नाबालिग लड़की की याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उसने जबरन कराए गए बाल विवाह को रद्द करने और जान का खतरा होने की आशंका को लेकर सुरक्षा की मांग की है। इस मामले को जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच सुनवाई के लिए लेगी।
जबरन शादी और शिक्षा से वंचित किए जाने का आरोप
याचिका में लड़की ने दावा किया कि 9 दिसंबर 2024 को जब वह मात्र 16 साल 6 महीने की थी, तब उसकी शादी 32-33 वर्षीय व्यक्ति से जबरन करवा दी गई। याचिका में कहा गया है कि लड़की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन शादी के बाद उसे तुरंत विदा कर दिया गया, जबकि उसकी दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं निकट थीं।
“ससुराल में कैद, बच्चे का दबाव”
लड़की का आरोप है कि उसके ससुराल वालों ने उसे कैद में रखा और बार-बार उस पर बच्चा पैदा करने का दबाव बनाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि शादी के लिए काफी पैसा खर्च हुआ है, इसलिए वह अब विवाह से पीछे नहीं हट सकती। उसके पति ने यह भी दावा किया कि लड़की के माता-पिता उसके कर्जदार हैं, इसीलिए शादी कराई गई।
सुरक्षा की गुहार, सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद
वर्तमान में याचिकाकर्ता अपने एक मित्र के साथ फरार है और सुप्रीम कोर्ट से अपनी तथा मित्र की सुरक्षा सुनिश्चित कराने की मांग कर रही है। उसने कहा कि अगर वे बिहार लौटे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है।
लड़की ने कोर्ट से अपनी शादी को रद्द करने के साथ-साथ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत पति और ससुराल वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
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“शिक्षिका या वकील बनना चाहती हूं”
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि लड़की का सपना शिक्षिका या वकील बनने का है, लेकिन विवाह के कारण उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उसने कोर्ट से शिक्षा का अधिकार दिलाने की भी गुहार लगाई है।