Sunday - 7 January 2024 - 5:57 AM

स्वयं सहायता समूह : लोन के NPA बनने की रफ्तार तेज

जुबिली न्यूज डेस्क

देश में बैंकों का एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) साल दर साल बढ़ता जा रहा है। बैंक कर्ज की वसूली कर नहीं पा रहे हैं जिसकी वजह से यह बढ़ता जा रहा है।

स्वयं सहायता समूहों को लेकर भी ऐसी ही खबर है। स्वयं सहायता समूह (SHG) को दी गई कर्ज की राशि अब तेजी से एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) में बदलती जा रही है। स्वयं सहायता समूह के कर्ज न चुकाने की वजह से एनपीए में तेजी आई है।

आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में लोन के एनपीए बनने की रफ्तार तेज हुई है। ऐसे हालात में केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे जिलावार एनपीए का हिसाब रखें और बकाया राशि की वसूली के लिए कदम उठाएं।

हालत यह है कि कुछ राज्यों में तो सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को दी गई लोन राशि का एक चौथाई हिस्सा अब एनपीए में बदल चुका है। इसमें सबसे बड़ा उछाल उत्तर प्रदेश में आया है, जहां कर्ज की राशि के मुकाबले एनपीएम में 15 फीसदी का इजाफा हुआ।

पिछले हफ्ते हुई परफॉर्मेंस रिव्यू कमेटी की मीटिंग में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों के अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दिया हैं। दरअसल, इस बैठक में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना की समीक्षा चल रही थी। इसी योजना के तहत सरकार स्वयं सहायता समूहों को बैंक से जोड़कर समर्थन मुहैया कराती हैं।

बैठक में बैंक लोन्स के एनपीए बन जाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

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बैठक के एजेंडा पेपर्स के अनुसार मार्च 2020 तक देश के 54.57 लाख SHG पर 91 हजार 130 करोड़ रुपए के बैंक लोन बकाया हैं। इनमें 2168 करोड़ रुपए यानी करीब 2.37 फीसदी राशि एनपीए में बदल चुकी है।

वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले SHG को दिए कर्ज के एनपीए में बदलने में यह 0.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। हालांकि, कुछ राज्यों में यह बढ़त और ज्यादा रही। करीब 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SHG को मिलने वाले लोन्स के एनपीए में बदलने का अनुपात राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रहा।

रिपोर्ट के अनुसार यूपी में जहां 71,907 SHG हैं, वहां बैंक से लिए गए कर्ज का 36.02 फीसदी एनपीए में बदल चुका है। वहीं, यूपी के बाद पंजाब का नंबर है, जहां कर्ज के मुकाबले 19.25 फीसदी राशि एनपीए में बदल चुकी है। इसके बाद उत्तराखंड (18.32 फीसदी) और हरियाणा (10.18 फीसदी) का नंबर है। चौंकाने वाली बात यह है कि टॉप-4 में तीन राज्य भाजपा के शासन वाले हैं।

दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में SHG को मिली कर्ज की राशि का 43 फीसदी एनपीए में बदल चुका है, जो कि सबसे बड़ा आंकड़ा है। हालांकि, यहां स्वयं सहायता समूहों की संख्या सिर्फ 209 है।

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