Friday - 19 January 2024 - 12:11 PM

किसके दबाव में तेजस्वी ने की इस्तीफे की पेशकश

न्यूज डेस्क

राहुल गांधी ने आखिरकार इस्तीफा दे ही दिया। चुनाव परिणाम आने के बाद से राहुल के इस्तीफे को लेकर संशय और सरगर्मी बनी हुई थी। फिलहाल यह मामला खत्म हुआ तो बिहार में तेजस्वी यादव के इस्तीफे की पेशकश की बात सामने आई है।

तेजस्वी ने इस्तीफे की पेशकश आत्मा की आवाज पर नहीं किया है, बल्कि उन्होंने पार्टी के बाहर और भीतर के दबाव में किया है। यह भी कह सकते हैं कि राहुल गांधी के इस्तीफे का असर यहां पड़ा है। कांग्रेस ने बिहार में भी महागठबंधन के नेताओं से भी ऐसे ही फैसले की मांग की।

बिहार में महागठबंधन की ड्राइविंग सीट पर रहे राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। हालांकि, आरजेडी विधायक दल ने इसे अस्वीकार कर राहत दिया है। आरजेडी ने आपात बैठक कर यह निर्णय लिया और साथ में यह भी निर्णय लिया गया कि अगर इसके बावजूद तेजस्वी यादव नहीं मानते हैं तो पार्टी के सभी विधायक विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे।

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राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश 28 जून को की थी जिस पर राजद विधायकों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए उनसे ऐसा करने से मना किया है।

इस बीच तेजस्वी यादव गुरुवार को मानसून सत्र के पांचवे दिन पहली बार विधानसभा पहुंचे।

कांग्रेस नेता ने मांगा था इस्तीफा

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद कांग्रेस के मुख्य सचेतक राजेश कुमार ने कहा कि राहुल गांधी की तरह गठबंधन के अन्य लोग भी फैसला लें।

उन्होंने आरजेडी व अन्य सहयोगी दलों से ऐसी अपेक्षा की। राजेश कुमार ने क्लियर का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर था।

चुनाव बाद गायब हो गए थे तेजस्वी

लोकसभा चुनाव में हार के बाद से तेजस्वी यादव अज्ञातवास पर चले गए थे। इसको लेकर विपक्षी दल भी कटाक्ष कर रहे थे। 35 दिनों बाद तेजस्वी मीडिया के सामने आए, लेकिन ज्वलंत मुद्दों पर मुंह नही खोला। उन्होंने गायब होने का कारण भी ट्वीट के जरिए बताया।

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राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभाल रहे हैं। लेकिन उनकी कार्यशैली से कई बड़े नेताओं में नाराजगी है। उनके अचानक लापता हो जाने पर पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि शायद वे वर्ल्ड कप क्रिकेट देख रहे होंगे।

लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाने वाले विधायक भाई वीरेंद्र आज तेजस्वी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज करते हैं, लेकिन उन्होंने पहले यहां तक कहा था कि किसी के रहने या न रहने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।

नहीं दिख रही महागठबंधन में एकता

लोकसभा चुनाव में हार के बाद से महागठबंधन के घटक दलों के बीच एकता बनाना कठिन हो गया है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ अपनी पदयात्रा अलग कर रहे हैं।

जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा हो या कांग्रेस, एईएस से मौत के मसले पर वे आरजेडी के साथ धरना-प्रदर्शन करते नजर नहीं आ रहे हैं।

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