Saturday - 6 January 2024 - 12:23 PM

अब हाईटेक क्लीनिक में मरीजों का होगा इलाज

न्‍यूज डेस्‍क

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ राज्‍य की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। सीएम योगी अब प्रदेश में हाईटेक क्लीनिक खोलने जा रहे है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के कुछ जिलों के गांवों में एक हाईटेक क्लीनिक खोली जाएगी।

खास बात यह है कि इस क्लीनिक में डॉक्टर की तैनाती नहीं होगी और टेली कॉन्फ्रेंसिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीजों का इलाज किया जाएगा। इन हाईटेक क्लीनिक में ओपीडी का संचालन नर्स, लैब टेक्नीशियन ही करेंगे इसमें ऑटोमेटिक मशीन से खून की जांच होगी रक्तचाप की जांच होगी और दूर से बैठे हुए डॉक्टर टेली कॉन्फ्रेंसिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मरीजों से बात करेंगे।

डॉक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्क्रीन पर रिपोर्ट देखेंगे और उसी हिसाब से दवा के बारे में सलाह देंगे, जिसके बाद वह दवा मरीज को मशीन से ही मिल जाएगी।

यह प्रयोग एक मल्टीनेशनल कंपनी के सहयोग से किया जा रहा है. जिसमें सरकार 10 पीएचसी पर ओपीडी स्थापित करेगी जिसमें आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी. पंजीकरण के लिए नर्स और मरीजों के खून का नमूना लेने के लिए लैब टेक्नीशियन तैनात किए जाएंगे और सभी पीएचसी सेंटर्स को कमान सेंटर से जोड़ा जाएगा. जहां से कैमरे की मदद से कमान सेंटर को मरीज अपनी बीमारी की जानकारी देंगे.

ऑटोमेटिक मशीनों से मरीज के बीपी और जरूरी जानकारी की रिपोर्ट कमांड सेंटर को मिलेगी और उसी के आधार पर कमांड सेंटर में बैठे हुए डॉ मरीज का इलाज करेंगे।

जानकारी के मुताबिक 10 जिलों में 11 अस्पतालों का चयन किया गया है, जिसमें गोरखपुर की अर्बन हेल्थ पोस्ट रामपुर, वाराणसी की अर्बन हेल्थ पोस्ट, श्रावस्ती, बहराइच बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, चंदौली, सोनभद्र, चित्रकूट और फतेहपुर शामिल हैं। इन सेंटर्स पर प्रयोग के तौर पर विदेशी मदद से लगने वाली ऑटोमेटिक मशीनें लगाई जाएंगी और उन्हीं के जरिए इलाज होगा।

योजना से जुड़े हुए अधिकारियों के मुताबिक यह प्रयोग इसलिए किया जा रहा है ताकि ग्रामीण इलाकों में भी मरीजों को बेहतर डॉक्टरों की सलाह से अच्छा इलाज मिल सके और अगर यह प्रयोग सफल होता है तो प्रदेश के ज्यादातर गांवों में इस तरह के पीएचसी सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे कि मरीजों को विदेशी इलाज मिल सके और इन सेंटर्स पर ज्यादा डॉक्टर की भर्ती भी न करनी पड़े।

बताते चले कि यूरोपीय देशों में दशकों से टेली मेडिसिन का उपयोग हो रहा है। भारत में भी प्राईवेट सेक्टर में शुरू हो रहा है। पर उसमें मरीज के साथ भी एक डॉक्टर होता है, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग कर दूसरे डॉक्टर से बात करता है।

Radio_Prabhat
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