Wednesday - 31 January 2024 - 12:36 AM

जुबिली डिबेट

चुनाव जीतने के लिए नीतीश ने फेंका जातिगत जनगणना का मायाजाल

सुरेंद्र दुबे नेताओं को चुनाव जीतने के लिए अपने काम से ज्‍यादा भावनात्‍मक मुद्दों की याद आती है। ताकि इसके सहारे वे मतदाताओं को मूर्ख बना सके और अपनी कुर्सी बरकरार रख सके। बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को …

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कुछ बात तो है कि हस्ती मिटती नहीं दिग्विजय सिंह की

कृष्ण मोहन झा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आगामी 28 फरवरी को अपने यशस्वी जीवन के 73 वे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। इस अवसर पर उनके सुदीर्घ राजनीतिक जीवन की उल्लेखनीय उपलब्धियों की चर्चा होना स्वाभाविक है। मेरी नजर में दिग्विजय …

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सुलगती दिल्ली के इन सवालों का जवाब कब मिलेगा ?

उत्कर्ष सिन्हा करीब दस साल पहले संसद में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने एक बयान दिया था कि “अगर सरकार चाह ले तो कोई भी दंगा छह घंटे के भीतर रोक सकती है”। दिल्ली में तीन दिनों से चल रहे दंगों के बीच उनका यह बयान सोशल मेडिया …

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राम के समाजवादी राज पर टेढ़ी निगाह, सीएम के बेतुके बयान से बनी असहज स्थिति

केपी सिंह राजनीति में अध्यात्म का बघार लगाते हुए उत्तर प्रदेश के सन्यासी सीएम योगी आदित्य नाथ कार्यों से लेकर प्रवचनों तक में अटपटेपन के लिए पहचाने जाने लगे हैं। उन्होंने हाल में एक भाषण में ज्ञान दिया कि समाजवाद के दिन खत्म हो गये हैं। अब देश और प्रदेश …

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आखिर दिल्‍ली में गुब्‍बारा फूट ही गया

सुरेंद्र दुबे  दिल्‍ली में विधानसभा चुनाव के ही समय से भाजपा के बयानवीर नेता सियासी गुब्‍बारे में हवा भरने में लगे थे। सबसे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने यह कह कर गुब्‍बारे में हवा भरने की शुरूआत की कि ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाना कि शाहीन बाग को …

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नीतीश के नखरों को कैसे झेलेगी BJP

उत्कर्ष सिन्हा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी उन खतरों का अंदाज होने लगा है, जो आने वाले चुनावों में उनकी राह में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। यूपीए के घटक के रूप में चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार एनडीए में जबसे शामिल हुए हैं, तबसे उनके …

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कांग्रेस भूल रही सियासत का कौन सा ककहरा ?

कुमार भवेश चंद्र कांग्रेस में नेतृत्व का सवाल एक बार फिर सतह पर है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच इसको लेकर आमतौर पर चुप्पी है। संदीप दीक्षित और शशि थरूर जैसे नेताओं ने जरूर नेतृत्व का मसला तय करने का सवाल उठाया है। देखा जाए …

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इतिहास के साथ नेतागिरी न करें

सुरेंद्र दुबे  लगता है देश के इतिहास के साथ छेड़छाड़ का सिलसिला अब शुरु हो गया है। वैसे इतिहास, इतिहासकार लिखते रहे हैं पर न्यू इंडिया में यह काम राजनीतिक दल करने को उतावले मालूम देते हैं। ऐसा भी समय आ सकता है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग …

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100 करोड़ से हटेगी काम पर पड़ी धूल

शबाहत हुसैन विजेता आम आदमी : सुन रहे हैं सरकार आपके मेहमानखाने में दुनिया के सबसे बड़े चौधरी साहब आ रहे हैं, वह भी बीवी-बच्चो और दामाद के साथ। सरकार : हां, तुमने सही सुना है। बड़े लोगों के घर बड़े लोगों का आना-जाना लगा ही रहता है। आम आदमी …

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लकीर का फ़कीर नहीं, फ्रैंक कैप्रियो बनना होगा

देश की अदालतों में में लगातार बढ़ रही है मुकदमों की संख्या इनमें बड़ी संख्या छोटे मुकदमों और याचिकाओं की जस्टिस डिलेड जस्टिस डिनाइड की स्थिति से बाहर निकलना होगा राजीव ओझा भारतीय अदालतों की काबिलियत और निष्पक्षता संदेह से परे है। इसके बावजूद भारत की सर्वोच्च अदालत में करीब …

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