सुरेंद्र दुबे लोकतंत्र में नेता सिर्फ एक मोहरा होता है। जनता जब जिस मोहरे को चाहती है चल देती है और जब चाहती है तो मोहरे को उठाकर फेक देती है। राजा बिला वजह मुगालते में रहता है कि मोहरे उसके इशारे पर शतरंज के बिसात पर चल रहे हैं। …
Read More »ओपिनियन
प्रदेश में उपचुनाव: यूँ ही नहीं होते राजनीति में पेंच
रतन मणि लाल कहा जाता है कि वह राजनीति भी क्या जिसकी पहले से भविष्यवाणी की जा सके। राजनीति तो वही है जिसके बारे में अपने और विरोधियों को भी आखिरी मौके तक पता न चल पाए। उत्तर प्रदेश में 21 अक्टूबर को 11 विधान सभा क्षेत्रों में चुनाव के …
Read More »क्या अब चुनाव से खत्म हो गया है “राजनीति” का रिश्ता ?
उत्कर्ष सिन्हा पहली बार में ये शीर्षक जरूर अटपटा लगेगा , मगर थोड़ी देर सोचने में क्या हर्ज है । आप कह सकते हैं कि भारतीय संविधान ने यह व्यवस्था दी है कि भारत में मतदान की प्रक्रिया के बाद चुने हुए लोग अगले 5 साल के लिए सरकार बनाएंगे …
Read More »हिंदू नेता के हत्यारे अपनी पहचान उजागर करने को क्यों थे बेताब
केपी सिंह हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी के हत्यारे शेख अशफाक हुसैन और मुइनुददीन खुर्शीद पठान को आखिर गुजरात-राजस्थान की सीमा पर पकड़ ही लिया गया। वारदात को अंजाम देते हुए उन्होंने फिदाइन जैसे जज्बे से काम किया। जिसके चलते वे सभी जगह अपनी पहचान के निशान …
Read More »महात्मा गांधी की गद्दी खतरे में
सुरेंद्र दुबे मध्य प्रदेश के भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा एक बार फिर सुर्खियों में आ गईं हैं। अबकी बार साध्वी प्रज्ञा ने देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सीधे-सीधे निशाने पर ले लिया है। कल उन्होंने पत्रकारों से कहा महात्मा गांधी राष्ट्रपुत्र हैं और हमारे लिए आदरणीय हैं। …
Read More »यूपी में कम्युनिटी पुलिसिंग का वह दिन!
राजेंद्र कुमार 30 सितंबर 2010। उत्तर प्रदेश के इतिहास में यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन यूपी में कम्युनिटी पुलिसिंग की पावर को लोगों ने देखा और महसूस किया था। सूबे के हर गांव, कस्बे और शहर में पुलिस की चौकसी इस दिन लोगों ने देखी थी। पुलिस की …
Read More »कांग्रेस: नकारा नेतृत्व की नाकामी से डूब रही नैय्या
कृष्णमोहन झा लगातार दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हाथों करारी हार झेलने वाली कांग्रेस पार्टी से अपेक्षा तो यह की जा रही थी कि वह हार के सदमे से उभर कर अपने आप को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभाओ के चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने …
Read More »भस्मासुर से जूझती भारतीय जनता पार्टी
केपी सिंह भारतीय समाज विचित्रताओं से भरा है। इस समाज में जातिगत और धार्मिक द्वंदात्मकता प्रखरता के साथ मौजूद है जो हिंसक सघर्षों में भी बदल जाता है। दूसरी ओर यह समाज उदात्त शिखर छूने के लिए वृहत्तर एकजुटता के रुझान को भी प्रदर्शित करता है। पहले और बाद के …
Read More »माहौल बिगाड़ने में सोशल मीडिया आग में घी की तरह
राजीव ओझा अपना देश और समाज इस समय कई मोर्चे पर जूझ रहा। एक बाहरी खतरा है दूसरा देश के भीतर। देश की सीमा पर दुश्मनों से निपटना आसान है लेकिन देश के भीतर के खतरों से निपटाना सबसे बड़ी चुनौती हैं। समाज में घुलमिल कर वार करने वाले अमन …
Read More »अमानवीय है धर्म की आड़ में वर्चस्व की जंग छेड़ना
डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में शांति की बात करने वाले बहुत लोग हैं। लगभग सभी प्रत्यक्ष में इस शब्द का खुलकर उपयोग करते हैं परन्तु वास्तव में ऐसा है नहीं। राजनैतिक दलों के अनेक चेहरे बहुत सारे मुद्दों पर स्वयं को पर्दे के पीछे छुपाने की कोशिश करने लगते हैं। …
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